Monday, April 29th, 2024

नौ साल की लंबी लड़ाई के बाद एआर डीआर को मिला समयमान वेतनमान

भोपाल 
विश्वविद्यालयों में पदस्थ करीब 70 सहायक कुलसचिव और उपकुलसचिव को नौ साल की लंबी लड़ाई लडने के बाद समयमान वेतनमान मिल सकता है। वे 2010 से शासन के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किए हैं। इसमें भी विभाग ने उन्हें छह साल बाद के समयमानवेतनमान देने के आदेश जारी किए हैं।  

विश्वविद्यालय राज्य सेवा के अधिकारियों को 2010 से समयमान वेतनमान मिलना चाहिए था। हाईकोर्ट की फटकार के बाद विभाग को तीन दिन में वेतनमान देने के आदेश जारी करने पड़े। इसमें उन्हें ये वेतनमान 2008 के स्थान पर 2015 से देने के आदेश जारी किए हैं। जबकि एआर और डीआर दिसंबर 2012 में अपने आंदोलन के दौरान समयमान वेतनमान देने की मांग कर चुके थे। भाजपा सरकार उन्हें आश्वासन देकर चुप कर देती थी। विभाग से फाइल ओके होने के बाद वित्त विभाग ने काफी अडंगे लगाए। इसके चलते भोज विवि में पदस्थ एचएस त्रिपाठी सहित चार डीआर अनिल शर्मा, डीके बग्गा, आरके बघेल, रविशंकर सोनवाल ने मिलकर इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की थी। आदेश देने के बाद भी विभाग आदेश जारी नहीं कर सका। इसके बाद कोर्ट की अवमानना होने पर खंडपीठ ने विभागीय अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है। यहां तक उन्हें तीन दिन के अंदर आदेश जारी करने का आदेश दे दिया। इसके बाद फाइल में जैसे पंख लग गए और एआर-डीआर को समयमान वेतनमान देने के आदेश जारी कर दिए गए। 

यह मिलेगा वेतनमान 
वर्तमान में एआर का वेतनमान 15 हजार 600 रुपये और एजीपी 6600 तथा डीआर का वेतनमान 15 हजार 600 रुपये और एजीपी 7600 रुपये है। वहीं रजिस्ट्रार का वेतनमान 37 हजार 700 और एजीपी दस हजार रुपये है। रजिस्ट्रार का एजीपी दस होने के कारण उन्हें ये वेतनमान नहीं दिया जा सकता। क्योंकि ये वेतनमान राज्य सरकार का नहीं बल्कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजसी) का है। समयमान वेतनमान मिलने से एआर को डीआर मिलेगा और डीआर को रजिस्ट्रार का वेतनमान मिलेगा। डीआर को रजिस्ट्रार का वेतनमान में एजीपी 8 हजार 700 रुपये मिलेगा।  

वर्जन 
मंत्री जीतू पटवारी ने एआर-डीआर का समयमान वेतनमान स्वीकृत कर दिया है। इसके लिए राज्य विवि सेवा के सभी अधिकारी उनका आभार व्यक्त करते हैं। 
एचएस त्रिपाठी 
रजिस्ट्रार भोज विवि 

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